सूचना_अधिकार_अधिनियम_2005_की_हत्या_का_प्रयास?
- Mahaveer Pareek
- Mar 12, 2022
- 3 min read
सूचना_अधिकार_अधिनियम_2005_की_हत्या_का_प्रयास?
मित्रों देश की आजादी के बाद सन 2005 में सूचना का अधिकार अधिनियम लागू हुआ जिसके बाद जागरूक नागरिकों ने इस अधिनियम से प्राप्त अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर सरकार में होने वाले कई भ्रष्टाचार के, पद दुरुपयोग के, अवैध निर्णयो के मामले उजागर किए ।
धीरे धीरे जब भ्रष्टाचारियों की पोल खुलना शुरू हुई तो सरकारी सिस्टम में फैले भ्रष्टाचार पर रोक लगने लगी।देश बदलाव की ओर अग्रसर हुआ। भ्रष्टाचारियों की नींद उड़ने लगी। सूचना का अधिकार अधिनियम को देखते हुए सभी भ्रष्टाचारियों ने संघठित होना शुरू किया और इस अधिनियम की हत्या करने के लिए एकजुट होने लगे धीरे धीरे #एक्टिविस्टों_का_असंघठित ओर आम नागरिकों के #अज्ञानी होने का फायदा उठाने लगे और इस अधिनियम में लिखी परिभाषा को अपने हिसाब से परिभाषित करने लगे।
*आज सभी भ्रष्टाचारी एक होकर इस अधिनियम की हत्या के प्रयास में लगे हुए हैं ?*
आज देश हित में जनहित में सिस्टम में फैले इस भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए जैसे ही कोई आरटीआई लगाता है तो भ्रष्टाचारियों से मिलीभगत रखने वाले लोक सूचना अधिकारी अपने कर्तव्य से विमुख होकर मनमर्जी से आवेदनों का निस्तारण करने लगे हैं ।अब तो सूचना के सिपाहियों पर जान लेवा हमला तक करवाने में ये सक्षम हो गए है । अब इन लोक सूचना अधिकारियों को ना तो अधिनियम के अंतर्गत लगने वाली शास्ति (दण्ड ) का कोई भय है और ना ही कानून का ।
ऐसे में देश की जनता (आम नागरिक) को अपने इस अधिकार की रक्षा करने के लिए फिर से संघठित होकर आगे आना होगा और अपंग पड़े इस एक्ट को पैर लगाकर चलना होगा और इस एक्ट को बचाना होगा। ऐसे कई मामले है जिससे ऐसे भ्रस्टाचारियो को जेल जाने से ओर सेवा से पृथक होने से कोई नही बचा सकता लेकिन SPIO ओर प्रथम अपीलीय अधिकारी इनकी ढाल बनकर इन्हें बचाने का काम कर रहे है आयोग इन पर लगी शस्तिया वसूल नही कर पा रहा है आयोग में अधिनियम के विपरीत लोकसूचना अधिकारी की ओर अधिवक्ता उपस्थिति दे रहे है जिससे सरकारी राजस्व का नुकसान ओर कानून से छेड़छाड़ हो रही है *मनमर्जी से अधिनियम की धारा 8 ओर 11 का इस्तेमाल कर लोगो को आयोग तक भेजा जा रहा है* जिससे काम की अधिकता से लोगो के साल दो साल तक नम्बर नही आ रहे है यहाँ तक कि आयोग में कुछ पीठासीन भी इन लोकसूचना अधिकारी की पँहुच में है जानबूझकर जिन लोकसूचना अधिकारी के विरुद्ध शास्ति के साथ अन्य दाण्डिक कार्यवाही होनी चाहिए उन्हें संरक्षण दिया जा रहा है जिन्हें कानून सम्बन्धी जानकारी नही है डिग्री डिप्लोमा नही है उन्हें सरकार द्वारा निर्णय हेतु स्थान दिया जा रहा है *चारो ओर से अधिनियम की हत्या का प्रयास जारी है* जिसे हम आम साथियो को बचाना होगा ।
इस सम्बंध में जल्द ही सरकार से भी कई RTI एक साथ लगाकर या ट्विटर कर ओर सरकारों को टैग कर ओर उनसे जबाब जानेंगे ऐसे RTI आवेदन जिसमे आम नागरिकों को सूचना नही दी जा रही ओर सरकारों के द्वारा जो भी उन भ्रस्टाचारियो के खिलाफ कार्यवाही की है उनकी जानकारी लेनी होगी ।
भर्ष्टाचारियो को संरक्षण दिया जा रहा है उनका खुलासा जनता और सरकार के समक्ष करना आवश्यक हो गया है जिन आवेदनों को अवैध तरीके से निस्तारण किया गया है ओर जिन चाही गयी सूचनाओ पर यह विश्वास है कि इन दस्तावेजों के प्राप्त होने से भ्रस्टाचारियो की पोल खुलेगी ऐसे मामलों में चाही गयी सूचना और प्राप्त निस्तारण की कॉपी साथ लगाकर सीधे ही परिवाद न्यायालय में प्रस्तुत कर जांच की मांग करेंगे ओर *न्यायालय के समक्ष ये बात रखेंगे की हम तो दस्तावेज साक्ष्य के साथ न्यायालय में आना चाहते है पर सम्बंधित लोकसूचना अधिकारी अपराध से सम्बंधित दस्तावेज जिसमे भ्रस्टाचार , पद का दुरुपयोग साबित होता है लोकसूचना अधिकारी संरक्षण प्रदान कर अभियुक्तगणों को बचाने के प्रयासरत है* ऐसी स्थिति में न्यायालय इन दस्तावेजों की जांच कर सम्बंधित लोकसूचना अधिकारी को 120B,166,167,175,177,420,217 एवम कई अन्य संघेय अपराध की धाराओं के तहत शामिल अभियुक्तगणो पर उचित कानूनी कार्यवाही करे और देश मे कानून का राज सुदृढ़ तरीके से स्थापित हो इसमें जनता की मदद करे ।
भारतीय दंड संहिता ओर दण्ड प्रक्रिया संहिता पूरे भारतवर्ष मे लागू है लेकिन मनमर्जी से प्रकरण दर्ज किए जाते है पुलिस कार्यप्रणाली भी इन भ्रस्टाचारियो के पक्ष में झुकाव रखती है ऐसे में सिर्फ न्यायालय ही है जो जनता के अधिकार और इस अधिनियम को बचाने में हमारी मदद कर सकता है कानूनी प्रक्रिया अपनाते हुए हमें हमारे इस अधिकार की रक्षा करनी होगी संज्ञेय अपराध की इत्तला कोई भी आम नागरिक न्यायालय को दे सकता है । ओर *विधि की अवज्ञा करने जैसा अपराध अक्षम्य है संज्ञेय है ।*
#सर्वोच्च_न्यायालय ने भी अपने न्यायिक द्रष्टान्त में यह स्पष्ट किया है कि जो अधिकारी जिस पद पर बैठा है और यदि वह कहता है कि इस पद से सम्बंधित कार्य, कर्तव्य, उत्तरदायित्व, ओर शक्तियों का मुझे ज्ञान नही है तो ऐसा अपराध क्षम्य नही है।*
महावीर पारीक,लाडनूँ
#सीईओ & #फाउंडर, #legal_ambit
Sir very informative
सर, मैने ट्रांसपोर्ट विभाग, राजस्थान से सूचना लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन दिनांक 7 जनवरी 2022 को किया था जिसका जवाब नही मिला जिसके आवेदन क्रमांक मुझे मिले थे। फिर मैने दिनांक 7 फरवरी 2022 को ऑनलाइन प्रथम अपील की जिसका भी कोई जवाब नही मिला जिसकी अपील संख्या मुझे मिली थी। उसके बाद मैने ऑनलाइन ही दिनांक 5 मार्च 2022 को द्वितीय अपील की जो सब्मिट हो गयी तथा मुझे इनवार्ड नंबर मिले लेकिन अपील संख्या नही मिली। न ही द्वितीय अपील के बारे में कुछ शो हो रहा है। जबकि आवेदन व प्रथम अपील की पावती भी मुझे ईमेल से मिली थी और उनका स्टेटस भी मैं ऑनलाइन चेक कर पा रहा हूँ जबकि द्वितीय अपील के बारे…
Mahavir ji god work