*क्या हम आम जनता को अपने हक को मजबूती देने में भाग लेंगे ?*
हाँ. अगर हम अपनी योजना और मुद्दों के पक्ष में भारत के कम से कम एक लाख लोगों को तैयार कर सकें. इतना जनमत तो समर्थन में होना चाहिए. शुरुआत के लिए. हाँ. अगर हम हर राज्य में कम से कम एक हजार *‘सूचना सिपाही’* तैयार कर सकें जो किसी न किसी *विषय* में पारंगत हों, जो ‘मौलिक जानकारी’ के दम पर आत्मविश्वास से भरे हों. हाँ. *अगर हम दिसम्बर 2023 में भारत के 50 हजार ‘जिन्दा, जागरूक, जिम्मेदार और अनुशासित’ नागरिकों का सम्मेलन कर सकें.* भीड़ नहीं चाहिए अगर हम यह जमीन तैयार कर सकते हैं तो हमें खुशी होगी फिर हम जिम्मेदारी से नहीं भागेंगे. *लेकिन हम मुद्दों पर बात करें,* किसी भी कीमत पर झूठा ओर वेमन्य भाव हमें नहीं करना है. झूठ और वेमन्वता कभी विकास नहीं करवा सकता है, वह केवल जनता को धोखा देने की नीत है. हमें भारत की जनता के साथ यह पाप नहीं करना है. हमारे माने तो बगैर जमीन तैयार किये फसल बोने का कोई फायदा नही. ऐसे में खरपतवार ही पैदा होगी, जैसा अभी चल रहा है । एक और दलदली जमीन पैदा हो जाएगी . इसलिए हमें कोई जल्दी नहीं है. *अगर भारत के लोग वर्तमान ‘परिस्थितियों’ में खुश हैं, मजे में हैं तो हमें कोई शिकायत नहीं होगी.* अपेक्षित संख्याबल, मनबल नहीं जुटता है तो आगे नहीं बढ़ेंगे. हमारा प्रयास करने का फर्ज है. एक और बात. *कई लोग स्वाभाविक रूप से किसी संघठन* से तुलना कर लेते हैं, ज्यादा गहराई में नहीं जाते हैं तो समानता दिखाई देती है. हम ऐसा नहीं चाहते हैं ! जब तक राजनीति के संरक्षण से कानून चलेंगे तो झूठ, छल, कपट रहेगा. जुए या वैश्यावृति में कितना भी सुधार करो, बीमारी नहीं मिटती है, नए रूप ले लेती है ! कई संघठन सफल तो हो रहे है पर उसे भी अब ‘राजनीति’ की बीमारियाँ घेर रही हैं ! उन्होंने अच्छा ही सोचा होगा, उनकी समझ अपनी जगह पर हमारी अपनी समझ है. अपना अनुभव है, अध्ययन है. इसलिए हम राजनीति के संरक्षण से चलाये जाने वाले कानूनो से राजनीति की विदाई चाहते हैं. हमेशा के लिए, अंग्रेजों की तरह इन नए अंग्रेजों (सत्ता के भूखे अनेक राजनेताओं और अफसरों) की नीति को विदा करना चाहते हैं. राजनीति के संरक्षण से कानून की स्वतंत्र कानून स्थापित करना ही हमारा लक्ष्य है. हिम्मत और एक जुट होकर कागज ओर कलम से हमारे हकों को जानकर सवाल करना होगा तब ही कोई समाधान होगा वर्ना तो वही खेल ही होंगे. मुद्दों पर जिम्मेदारी हमारा लक्ष्य है. *महावीर पारीक,* *सीईओ & फाउंडर, लीगल अम्बिट* *www.legalambit.org*